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विशेष सन्देश – माँ जी

आशीर्वाद एवम शुभकामनाएं
दिवाली आई दिवाली आई दिवाली आई है। दिवाली अपने साथ खुशियां लाई है। सब मिलकर दिवाली मनाओ। अज्ञान रूपी अंधेरे को दूर भगाओ। ज्ञान ही मानव की शान है, अज्ञान ही मानव को डुबोने वाला है। ॐ असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय ।। अगर हम दिवाली का रूप, दिवाली का भाव समझ जाएं तो दिवाली का असली अर्थ है हमारे हृदय में जो अज्ञान का अंधकार फैला हुआ है उसको दूर करना। प्रत्येक मनुष्य समझता है कि मैं ज्ञानी हूँ । ज्ञान ही मनुष्य का बहुमूल्य भूषण है। लेकिन थोड़ा समझने में हमें कुछ अंतर आ जाता है। ज्ञान क्या है अज्ञान क्या है प्रकाश क्या है अंधकार क्या है यह दिवाली के द्वारा हमारी भारतीय संस्कृति में बड़े अच्छे व सुंदर ढंग से उसको प्रकाशित किया गया है। ज्ञान में हम सब एक है वसुधैवकुटुंबकम की भावना से ओतप्रोत हैं । ज्ञान में मनुष्य को अपनी आत्मा के दर्शन अन्य प्राणियों में भी होते हैं और उन प्राणियों की आत्मा में वह अपनी ही आत्मा देखने लगता है। जब मनुष्य इस स्थिति तक पहुँच जाता है जब मनुष्य इस मुख्य उद्देश्य को समझ जाता है या प्राप्त कर लेता है तो वो महामानव या मुक्त आत्मा कहलाता है। हमारी भारतीय संस्कृति ने दिवाली के द्वारा अंधेरी रात में दीपक जलाने की जो के प्रथा दी है परंपरा दी है इस परंपरा के द्वारा हमें समझ लेना चाहिए कि हम अज्ञान रूपी अंधेरे को मिटा दें और अपने हृदय में विराजमान अलौकिक आत्मा के दर्शन करने का प्रयत्न करें। इन्हीं शब्दों के साथ मैं गीता माँ आप सबको दिवाली के शुभावसर पर हार्दिक बधाई देते हुए श्री श्री महाराज जी का आशीर्वाद देती हूँ।।


राम नाम जपते राम नाम जपते हुए अगर किसी दीन दुखी की ओर उसकी सेवा के लिए हाथ नहीं बढ़ते तो सोचो समझो कि तुमने राम नाम का जप नहीं किया, केवल राम को शब्द मानकर तोते की भांति रटते रहे राम नाम के जप को श्रद्धा और विश्वास के साथ जपने से परातपर ब्रह्म अपनी कृपा बरसाते है राम नाम मे निष्ठा होनी चाहिए निष्ठावान शीग्र ही राम कृपा प्राप्त कर लेता है भिन्न भिन्न भक्तो ने राम नाम की महिमा को गाया, पहचाना और अपना जीवन धन्य बनाया राम नाम के जप के प्रभाव से साधारण रोगो का तो कहना ही क्या...... राम नाम तो भव रोग को भी दूर करता है !


प्रार्थना मैं गीता माँ, अति विनम्रता से परम् शक्तिवान शक्ति से प्रार्थना करती हूँ कि माँ दुर्गा, माँ काली, माँ सरस्वती इस भयानक महामारी से सारी मानवता की रक्षा करे। मैं पुनः हाथ जोड़कर सभी संघ सदस्यों से अनुग्रह करती हूँ कि इन दिनों हम सभी को परात्पर परब्रह्म परमपिता परमेश्वर से अनुनय विनय करनी होगी, हे प्रभो! 'सारी मानवता को सारी सृष्टि को इस भयानक दुःख भरे संकट से बचाइए।' सभी सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि प्रतिदिन दुर्गति नाशिनी दुर्गे जय जय काल विनाशिनी काली जय जय अम्बे जय जगदम्बे जय जय रामकृष्ण मयि शारदे जय जय का निरन्तर जाप करें।


परमपिता परमात्मा से संकट निवारण हेतू प्रार्थना (स्तुति) जय जय जय परमपिता परमात्मा । मानवता का संकट हर लो परमपिता परमात्मा। जय जय जय परमपिता परमात्मा जय जय जय परमपिता परमात्मा मानवता का संकट हरलो परमपिता परमात्मा।। इस स्तुति का दोनो हाथों से ताली बजाकर निरन्तर जाप करने से दुनिया पर जो संकट गहराया है उस का निवारण होगा।।

शिष्य को गुरु आज्ञा पालन करने मे सदैव तत्पर रहना चाहिए | गुरु.... शिष्य का सम्बन्ध क्यों और क्या का नहीं, लेकिन एक दूसरे की आत्मा का सम्बन्ध है | गुरु ने देखा तो शिष्य जान गया | शिष्य को गुरु के प्रति भगवत भाव रखना चाहिए | शिष्य अपनी गुरु भक्ति से ही गुरु कृपा प्राप्त करता है | शिष्य के जीवन की आधारशिला गुरु भक्ति है | शिष्य को शिष्य बने रहने मे ही आनंद प्राप्त होता है | शिष्य अपने सद्गुरु की अनुकम्पा की अनुभूति करके पुलकित हो जाता है |और कह उठता है.... गुरु कृपा ही केवलं | गुरु चाहे तो हमारे संचित और प्रारब्ध कर्मो के पाश को काट सकता है।।

श्री महाराज जी की 33वीं पुण्यतिथि पर श्री माँ जी का संदेश। जाहिं न चाहिअ कबहुँ कछु तुम्ह सन सहज सनेहु। बसहु निरन्तर तासु मन सो राउर निज गेहु।। अर्थात - जिसको कभी कुछ नही चाहिए और जिसका आपसे स्वाभाविक प्रेम है आप उसके मन में निरन्तर निवास कीजिये, वह आपका अपना घर है।। तुलसीदास जी द्वारा श्री रामचरितमानस में रचित उक्त चौपाई श्री श्री महाराज जी पर सोलहआने उपयुक्त है। जिनको श्री महाराज जी से सहज स्नेह है, जिन्हें उनसे कुछ मांगना नही है, जिन्हें केवल भगवत प्रेम में जीवन व्यतीत करना है और जिन्हें कभी कुछ नही चाहिए केवल भक्ति रस में ही विभोर रहकर जीवन यापन करना है उनके लिए इस कलि काल में कलि उपनिषद में वर्णित महामंत्र " हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे "सदैव उपयोगी है। यह महामंत्र श्री महाराज जी ने स्वयं दिया है। यह एक ऐसा मंत्र है जहाँ निष्काम ही निष्काम है और निष्काम प्रेम ही प्रभु को प्यारा है। शारदा माँ सेवा संघ के सभी सदस्यों से मेरी करबद्ध विनम्र विनती है कि सब इस महामंत्र का अनगिनत पाठ प्रातः सांयकाल उठते बैठते जब भी समय मिले इसका जपाजप पाठ करे। पुण्यतिथि के दिन भी इस महामंत्र का 11, 51 या 108 बार पाठ करे इसी में सब का कल्याण है। सर्वभूतहिते रत: गीता माँ

Hindu Monk of India भारत का हिन्दू भिक्षु (स्वामी विवेकानंद) भारतीय संस्कृति और दर्शन का प्रकाश फैलाने वाले युगपुरुष एवम युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत स्वामी विवेकानंद जी को ये नाम शिकागो में वहां की जनता द्वारा दिया गया था जब उन्होंने शिकागो में दिए अपने भाषण में वहां के लोगों को sister's and brother's of America कह कर संबोधित किया था। उस समय 2 मिनट तक कॉन्फ्रेंस हॉल 7 हजार लोग की तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को संक्रांति के दिन हुआ था। उनकी जयंती सब जगह मनाई जाती है। श्री महादेवी तीर्थ में भी उनकी जयंती प्रति वर्ष की भांति मनाई जाएगी। इस दिन अखण्डपाठ, हवन, कन्या पूजन के साथ साथ विशाल भंडारे का भी आयोजन होता है। स्वामी विवेकानंद जी की बहुत से सुविचार हैं जिसमे से मुझे सबसे अच्छा Arise awake and stop not till the goal is reached. उठो जागो और तब तक न रुको जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो जाये। ये उपनिषद के एक मंत्र का अनुवाद है उठिष्ठित जागृत------। स्वामी विवेकानंद जी के गुरु श्री रामकृष्ण परामहंस जी ने कहा था The aim of life is to see the God. अर्थात हमारे जीवन का उददेश्य भगवत प्राप्ति है और हमें तब तक नहीं रुकना चाहिए जब तक हम जीवन के उद्देश्य भगवत प्राप्ति को प्राप्त न कर लें। श्री गीता माँ शारदा माँ सेवा संघ कुल्लू

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COVID19 SEVA

अतिथि देवो भव
वेद वाक्य है अतिथि देवो भव । अर्थात अतिथि वह जिसके आने की कोई तिथि न हो जो अचानक ही आ जाये। इसका साक्षात उदाहरण श्री महादेवी तीर्थ में देखने को मिल रहा है। वैष्णों माता मंदिर कुल्लू में 4 मई को DC एवं SDM की तरफ से 84 लोगों को जिनमें महिलाएं एवम बच्चे अधिक है उनको quarantine के लिए भेजा गया है। मंदिर की तरफ से स्वामी कमाल दास जी एवम शारदा माँ सेवा संघ की कमेटी द्वारा उनके रहने एवम भोजन का पूर्ण रूप से प्रबंध किया गया है। दो समय के भोजन के साथ साथ फल , चाय नाशता समय समय पर वितरित किया जा रहा है। कुछ लोगों को SDM की तरफ़ से दूसरी जगह भेजा जाना था लेकिन उन्होंने जाने से मना कर दिया और कहा कि मंदिर का वातावरण बहुत अच्छा है और सेवा भी बहुत अच्छे ढंग से हो रही है । इसलिए हम यही रहेंगे दूसरी जगह नही जाएंगे ।
गीता माँ
अध्यक्षा शारदा माँ सेवा संघ कुल्लू

President Shri Gita Maa Ji and secretary Kamaal das Sharda maa seva sangh vaishnomata Mandir Kullu has donated Rs.Two lakh Fifty one' thousand (251000)to CM relief fund to fight against corona disease.

Hon.Forest minister Sh.Govind Thakur Ji visited Temple complex and appreciated the efforts of Sharda Maa Sewa Sangh for the people' staying in quarantine. 84 people today went back to their homes and 20 more people arrived here for quarantine. Mandir complex is offering space and food free of cost to all the people staying during the quarantine. Great Selfless Service work done by the members.

Testimonials

Title of the document माँ के चरणों मैं प्रणाम करते हुए निवेदन करती हूँ कि उनके आंचल की छाव में संपूर्ण भारत एवं विश्व को मिले।

It is my honor and privelege to meet Geeta Maa ji! Her blessings are all one can ask for. The temple is spectacular and unique. Her tireless efforts has made this temple what it is today.

माता जी के चरणों में आध्यातमिक अनुपम है। सांसारिक कष्ट दूर होंगें। एक बड़ा यज्ञ जैसा कार्य है शुरू है। अपना अपना हृदय देते जाएं - मनकी शान्ति पाएं। प्रणाम।

Jai Mahadevi. Maharaj Kamal Das has done an excellent work of building and construction. Swamiji's work continues as predicted by Him. Sri Sarda Maa Sangha is reality with Devotees crowding the temple, May Maa bless you all.

माँ के चरणों मैं प्रणाम। यहाँ आकर अपने को ध्नय मानती हूँ। भगवान ने जीने का अवसर दिया तो फिर दर्शन के लिये यहाँ आएंगे। माता जी से मिलकर बहुत आन्नद आया।

माता जी के चरणों मैं शत शत प्रणाम। यहाँ आकर बहुत ही अच्छा लगा। मंदिर एवं यहाँ का प्रबंद देख कर बहुत अच्छा लगा। आशा करता हूं कि माता जी का आशीश सदा हम पर रहे।

यहां पर आकर जो आन्नद आता है उसका वर्णन नही किया जा सकता। माताजी को प्रणाम।

It is indeed a privilege to visit the spiritual masterpiece. Everyone is working here and is devoed to the service of the community. This is reflected in all minor details and visiting this place. It gives great peace of mind. Here we realize the true meaning of life that is to get the true happiness.

Nishkaam Seva

Mahadevi Tirth established in late 1960's, has been actively involved in organizing religious lectures, discourses, seminars etc. for the spiritual guidance and advancement of the devotees.Swami Sewak das ji Maharaj, founder of Mahadevi Tirth, always preached - Nishkaam Karam Seva - Selfless Service. It is with the dictum of Swamiji, that all work is done in the form of Seva here.

Volunteers play a vital role in the organization. If you wish to volunteer your services or time, please get in touch with the Mahadevi Tirth office:

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