मानवता का आधार
आदरणीय स्वामी जी; माता जी एवं मेरे गुरू बहनों एवं भाईयो। आज स्वामी जी एवं माता जी के आशिर्वाद से मैं भी ‘मानवता का आधार’ विषय पर अपने कुछ ख्याल ब्यक्त करूंगी! गलतियों के लिए पहले ही क्षमा चाहती हूं।
प्रभु बिन भाव भाव बिन अनुभव
अनूभव बिन आत्मसाक्षात्कार नहीं।
व्यक्ति बिन अभिव्यक्ति मन बिन मानव
धरा बिन मानवता का आधार नहीं।
निर्मला देवी जी की लिखि गई इन पंक्तियों के साथ में अपने विषय में कुछ भाव व्यक्त करना चाहती हूं।
प्रतिवर्ष यहां मन्दिर में सम्मेलन होता है। सत्संग का आयोजन किया जाता है । इस सत्संग में आप और हम सब मिल कर प्रेम और श्रद्दा से दिन चर्या बिताते हैं। यह दिन चर्या हम को सिखाती है कि एक disciplined life कैसे जिए। इसी से व्यक्ति में मानवता का संचार होता है हम यहां आपस में कैसे रहे यह सीखते हैं। यहां नित्य सम्मेलन के दिनों में मानवता धर्म का पालन करते हैं। अर्थात इस disciplined life से हमारे जीवन में मानवता का संचार होता है। जहां मानवता है वहां द्वेष कभी नहीं आ सकता। इसलिए मेरे लिए तो मानवता की सबसे बड़ी आधारशिला श्री महादेवी तीर्थ ही है। यहां कुछ दिनों में सीखे गए सगुण अगर प्रतिदिन हम अपने अन्दर लाएं तो हम सच्चे मानव कहलाएंगे।हम प्रतिदिन अपने आप को एक आरामदायक जीवन देने के लिए भाग-दौड़ करते रहते हैं। लेकिन क्या कभी हमैं इस भाग दौड़ मैं मंदिर की disciplined life का ध्यान रहता है? शायद नहीं कयोकि यहां से बाहर निकलते ही हम धर्म, अध्यात्मिकता और मानवता को अलग अलग कर देते हैं। मन्दिर जाते हैं दान करते हैं, किन्तु अगर कोई भूखा बूड़ा सड़क पर दिख जाए तो उसका तिरस्कार करते है। जिस प्रकार लकड़ी में आग का गुण होता है किन्तु इस गुण का लाभ लेने के लिए आग का प्रकटाव भी आवश्यक है उसी प्रकार मानव में मानवता का गुण है किन्तु उसका असली सवरूप प्रकट नहीं होता। जहां मानवता होगी वहीं धर्म होगा जहां धर्म होगा वहां आनन्द होगा। जहां आनन्द होगा वहां भगवान का वास होगा। भगवान का वास मतलव अब और कुछ भी नहीं चाहिए।
मानवता का तात्पर्य ही है कि हम सबको अपने जैसा ही समझे। हमारे समान ही दूसरे को भी सुःख दःख की अनूभूति होति है। सभी की उन्नति में अपनी उन्नती मानना ईर्ष्या न करना भी मानवता है। स्वयं के साथ दूसरों को तारना इस से बड़ी मानवता और कुछ नहीं। हमारे शारदा मां सेवा संघ का तो Slogen ही “निष्काम कर्म सेवा है। ” इसी को हर सुबह याद कर इसी मार्ग पर चले तो हम सच्चे मानव स्वयं ही बन जाएंगे। और जब हम से सच्ची मानवता का संचार होगा तो ही हम एक श्रेष्ठ जीवन जीने के अधिकारी हौगे।
धन्यावाद
त्रुटियों के लिए क्षमा।
सरला भान