Mahadevi Tirth named after Goddess Parvati – also called Mahadevi, stands tall since 1966, in the beautiful Kullu valley of Himachal Pradesh. The foundation of Mahadevi Tirth was laid in 1962 when “Swami Sewak Das ji Maharaj” in search of eternal peace came to this place and found Mahadevi’s abode in the mountains.Swami Sewak Das ji, the founder of Mahadevi Tirth was the one to preach and practice “Nishkaam Karmseva” – “Selfless Service” with his wonderful magnetic spirituality and love for all the living kinds. Swami ji during his life span, practically showed us how to follow the path of “Selfless Service”.

The idea of “Selfless service” bought together people of many sects and caste together, who held their hands and started serving the life in any form. This helped in intercultural understanding and thus lay the foundations for the intercultural appreciation and understanding.

Inspired with the idea of Selfless service, Mahadevi Tirth encourages adherents of different faiths to come under a single roof and meet in the spirit of friendship and show their love for the humanity, not only humanity but also for all the living organisms.

This practice does help us to learn from each other and walk with our own faith. God has made different religions, lives, etc and we all ought to reach him by one path or the other not forgetting that the path is not God himself. Hence, one can easily reach God, if one follows any of the paths, with whole hearted devotion and one of the path is “Selfless Service”.

Mahadevi Tirth, is pioneering and a vibrant spiritual organization that is offering a multi-cultural experience being a school of culture. To enhance the power of devotion, the Mahadevi Tirth established Shri Sharda Maa Seva Sangha, which plays a vital role in nurturing the Marti Shakti (Divine Women Power). With their utmost devotion and love form Mahadevi Tirth, the Sangha members make people aware about the richness of our culture, attaining ultimate goal of true salvation and serving any form of life.

श्री माँ जी का सन्यास दिवस

13 दिसम्बर 1974 और स्वामी जी की पुण्य तिथि 13 दिसम्बर

 

 

 

श्री माँ जी का सन्यास दिवस

13 दिसम्बर 1974 और स्वामी जी की पुण्य तिथि 13 दिसम्बर 🌹

स्वामी जी ने कुल्लू की पावन धरा मे पदार्पण किया, माँ को पाया। वैष्णों माता मंदिर से प्रसिद्ध महादेवी तीर्थ मे महादेवी की स्थापना की। शारदा माँ सेवा संघ की स्थापना की, जिसकी अध्यक्षा श्री माँ जी है। 13 दिसम्बर 1974 श्री माँ जी का महादेवी तीर्थ मे प्रथम सन्यास दिवस था ओर 13 दिसम्बर 1987 को महाराज जी ने अपना शरीर छोड़ दिया।श्री माँ जी अपनी मातृ गृह भाई बहनो को छोड़ कर सन्यासी बन गई। अपनी सरकारी नौकरी भी छोड़ दी और स्वामी जी की मम्मी जी बन मंदिर मे रहने लगी।
🌹गुफा मे है निराकार माँ, बाहर दिखे साकार माँ

दो दो मायों के लाडले योगी तू माँ मे रम गया 🌹
माँ के सन्यास के 50 वर्ष 13दिसम्बर को पूर्ण होने जा रहे है। माँ की कठिन तपस्या, शुद्ध और पवित्र सन्यासी जीवन ने माँ को जगदम्बा बनाया है। हम सब भाग्यशाली है हमें महा तपस्वीनी, ब्रम्ह चारणी माँ मिली है।श्री माँ जी की आत्मकथा से… 🌹माँ लड्डू लाओं, भोग लगाना है लड्डू वाला हाथ मेरे मुंह की ओर ले गए और बिनिमय नेत्रों से मुझे देखते रहे। महाराज जी ने जब मुझे लड्डू खिलाया तो मेरे मुँह की ओर इशारा कर के कहा “अब इस मुँह से खाओ “। मै 1993 मे मंदिर गई। हम स्वामी जी की बाते श्री माँ जी से ओर दोनों भाई जी से सुनते थे। मै सोचती रहती मैंने तो स्वामी जी कुल्लू मे रहते हुए भी नहीं देखें है.। एक दिन स्वामी जी ने बताया माँ जी का चित्र भी सामने आया ओर स्वामी जी का भी। स्वामी जी बोले मै इसी मुँह से खाता हूँ और इसी मुँह से बोलता हूँ।
आज तो ऐसा लग रहा है कि देवी और देवता भी ऐसी महा सन्यासीनी, महा तपस्वीनी माँ पर फूलों की वर्षा कर रहे है और सब ओर जय हो माँ गुंजायमान हो रहा है.।
हम भगवती स्वरूपा श्री माँ जी को जो इस धरा पर सब का कल्याण करने अवतरित हुई है, शत शत नमन करते है.
श्रीमती सोमलता

आज से पचास वर्ष पूर्व श्री मां ने अपने सांसारिक मात पिता का घर त्याग कर,जिसमे हर प्रकार की सुख सुविधा उपलब्ध थी अपनी तरुण अवस्था में उस स्थान पर जहां कष्टों के साहचर्य के अतिरिक्त कुछ था तो केवल‌ अपने आराध्य की छत्र छाया और भगवत सिमरन का आधार जिसे परम पूजनीया श्री मां सहज वरण किया। अध्यात्म की इस डगर पर अनेकानेक कठिनाईयां अनुभव की जिनकी हम लोग कल्पना भी नहीं कर सकते । आध्यात्मिक ज्ञान और अनुभव का साक्षात अनुवाद है पूज्या श्री मां।आज हम सभी उपकृत हो रहे हैं और स्वामी सेवक दास जी के लगाए हुए बिरवे श्री महादेवी तीर्थ को श्री मां ने अपने स्नेह और आध्यात्मिकता की शीतलता और ऊष्मा से पल्लवित कर एक ऐसे छतनार में विकसित कर दिया जिससे दूर दूर से आने वाले यात्री और श्री महादेवी तीर्थ के भक्त जन लाभान्वित हो रहे हैं।मां हम वास्तव मे उपकृत हैं और आपकी छत्र छाया हम पर चिरस्थाई रहे स्वामी जी के श्री चरणों में इसके लिए प्रार्थित हैं। चरण धूली को मांगता श्री चरणों का दास

शारदा माँ सेवा संघ के सभी सदस्यों देश और विदेश में रहने वाले सभी भक्तों के लिए 13 दिसम्बर 2024 का यह दिन स्वर्णिम दिन है क्योकि इस दिन श्री महादेवी तीर्थ के अधिष्ठाता श्री महाराज जी की पुण्य तिथि के साथ साथ शारदा माँ सेवा संघ की अध्यक्षा श्री गीता माँ जी जिन्हें बाबा जी ने श्री महादेवी तीर्थ में साकार माँ के रूप में विराजमान किया उनके सन्यासी जीवन को पूरे 50 वर्ष हो गये हैं । यह हम सब के लिए गौरव का दिवस है। अपने इन 50 वर्षों के आध्यात्मिक जीवन मे उन्होंने त्याग, तपस्या, व कर्तव्यों का पालन और श्री महाराज जी के आदर्शो और पदचिन्हों का अनुसरण करते हुए अपना जीवन बड़ी ही सादगी व निर्विकार रूप से व्यतीत किया है। जिसका मूर्त रूप श्री महादेवी तीर्थ हम सबके सामने है। इन 50 वर्षों में श्री माँ जी ने अपनी योग साधना, निर्मल मन, आत्मचिंतन तथा अपनी वाणी से ज्ञान दान द्वारा हम सब् की अंतर आत्मा को तृप्त किया है और कर रहीं हैं । हमारे जीवन को अंधकार से प्रकाश की और ले जा रहीं हैँ। श्री माँ जी बताती है कि बाबा जी ने कहा था माँ “बाबा 12 वर्षों तक आपके साथ साकार रूप में रहेगा। और जब जिस वस्तु की और जिस व्यक्ति की आवश्यकता होगी वह स्वयं आपके समक्ष आ जायेगा । मै बाबा जी की इस प्रत्यक्ष वाणी को अपने बाल्यकाल से देखती आई हूँ। बाबा जी पहले साकार रूप मे इस महादेवी तीर्थ में और ब्रह्मलीन होने के पश्चात निराकार रूप में श्री माँ जी भीतर और महादेवी तीर्थ के कण कण में विराजमान है। यही तो है श्री माँ जी की 50 वर्षों की तपस्या जो बाबा जी द्वारा लगाए छोटे छोटे पौधे श्री माँ जी के स्नेहांचल में पोषित होकर वृक्ष की भांति पूरे विश्व में फैले हैं और जब भी किसी को आवश्यकता होती है तो सब सदस्य मिलजुलकर श्री माँ जी की आज्ञा का पालन कर एकजुट हो जाते है । यही तो है श्री माँ जी के 50 वर्षो का त्याग। जीव ब्रह्म की एकता।। माँ आपके इस स्वर्णिम जीवन की आपको व हम सबको बहुत बहुत बधाई।। आपका आशीर्वाद सदा हमारे साथ रहे।।

माँ जगत-जननी को संन्यास आश्रम में आध्यात्मिक यात्रा के 50 वर्ष पूरे होने के इस पावन अवसर पर, हम आपको हार्दिक बधाई देते हैं, प्रणाम करते है…🙏🙏🙏
आध्यात्मिकता के मार्ग पर आपका अटूट समर्पण और निस्वार्थ सेवा हम सभी के लिए प्रकाश और प्रेरणा का स्रोत रही है और भविष्य में भी रहेगी…🙏🙏🙏

जैसा कि हम अपने भगवान स्वामी जी महाराज जी की पुण्यतिथि भी मना रहे हैं, हम उनके दिव्य मार्गदर्शन और शिक्षाओं के लिए कृतज्ञतापूर्वक नमन करते हैं, जो हमारे जीवन को प्रकाशित करती रहती हैं।

आपका आशीर्वाद और आपकी शिक्षा हमें विनम्रता और अनुग्रह के साथ धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती रहे…🙏🙏🙏

आप हमें सदा यूँही आशीर्वाद देते रहें और हमारा आध्यात्मिकता के उच्च क्षेत्रों की ओर मार्गदर्शन करते रहें…🙏🙏🙏

गहरे सम्मान और हार्दिक शुभकामनाओं के साथ,
मनोहर सुमन सूद और परिवार

आज का दिन हम सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और आनंदमय है, क्योंकि माताजी ने संन्यास आश्रम में अपने पचास गौरवशाली वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह उपलब्धि उनकी अडिग समर्पण, निस्वार्थ सेवा और गहन आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतीक है। हम स्वामीजी महाराज के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिन्होंने हमें ऐसी दिव्य गुरु और मातृस्वरूपा प्रदान कीं। माताजी ने अपने असीम प्रेम, करुणा और मार्गदर्शन से हमारे जीवन को आलोकित किया है। उनके उपदेश और उदाहरण ने निष्काम कर्मयोग के पथ को प्रकाशित किया है और अनगिनत लोगों को निस्वार्थ कर्म और आध्यात्मिक उत्थान के लिए प्रेरित किया है। यह उत्सव उनकी यात्रा को सम्मानित करने के साथ-साथ हमारे जीवन में उनके आशीर्वाद की अपार महत्ता का स्मरण भी है।
श्रीमती शिवानी भान ( सिंगापुर)

शारदा माँ सेवा संघ के वरिष्ठ सदस्य श्री संजय बिस्वास एवं श्रीमती रूपा बिस्वास जी प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्री महाराज जी की पुण्यतिथि पर अपने निवास स्थान गुवाहाटी आसाम में भंडारा चलाएंगे । जिसमें साधु संत तथा अन्य लोग बिना भेदभाव के वहाँ प्रसाद पाते हैं । संजय जी का कहना है कि जब भंडारा तैयार हो जाता है कुर्सियां लग जाती हैं मेज लग जाती है तो उस वक्त एक अनोखे से व्यक्ति आते हैं और वो स्वयं पहली कुर्सी पर बैठ जाते हैं और वहीं से हम भंडारा आरम्भ करते हैं । कभी उनका रूप साधु संत का होता है तो कभी भिखारी का। संजय जी का मानना है कि श्री महाराज जी स्वयं भेष बदलकर आते हैं ताकि हम सब को पता न चल जाए और भंडारे को आरम्भ करके तृप्त होकर भंडारे को पूर्ण होने का आशीर्वाद देकर चले जाते हैं । आप सभी से निवेदन है कि यदि समय हो तो इस भंडारे में अवश्य सम्मिलित होइए।।

Today marks a momentous occasion as Mataji completes fifty glorious years in Sanyas Ashram. This milestone is a testament to her unwavering dedication, selfless service, and profound spiritual wisdom. We are deeply grateful to Swami Ji Maharaj for bestowing upon us such a divine Guru and nurturing mother. Mataji has been a beacon of light, showering us with boundless love, compassion, and guidance. Her teachings and example have illuminated the path of Nishkam Karma Yoga, inspiring countless lives to embrace selfless action and spiritual growth. This celebration is not just a tribute to her journey but a reminder of the immense blessings we receive through her presence in our lives.
Swami Ji Maharaj key charnoo may danvat pranam
Mrs. Sarla Bhan (jammu)

Today marks a momentous occasion as Mataji completes fifty glorious years in Sanyas Ashram. This milestone is a testament to her unwavering dedication, selfless service, and profound spiritual wisdom. We are deeply grateful to Swami Ji Maharaj for bestowing upon us such a divine Guru and nurturing mother. Mataji has been a beacon of light, showering us with boundless love, compassion, and guidance. Her teachings and example have illuminated the path of Nishkam Karma Yoga, inspiring countless lives to embrace selfless action and spiritual growth. This celebration is not just a tribute to her journey but a reminder of the immense blessings we receive through her presence in our lives.
Swami Ji Maharaj key charnoo may danvat pranam
Mrs. Sarla Bhan (jammu)

13 दिसम्बर 2024 जहाँ एक ओर महादेवी तीर्थ कुल्लू के अधिष्ठात्ता श्री श्री स्वामी सेवक दास जी की पुण्यतिथि साधु संतों व अन्य दर्शनीय भक्तों की सेवा के साथ मनाई जाएगी, वहीं दूसरी ओर बहुत ही हर्ष का विषय व संयोग ही कहा जा सकता है कि श्री श्री माँ अध्यक्षा श्री महादेवी तीर्थ ने भी 13 दिसम्बर 1974 के दिन ही सरकारी नौकरी व गृह त्याग कर हमेशा हमेशा के लिए श्री स्वामी जी के सानिध्य में अपना आध्यात्मिक जीवन आरम्भ किया। सभी शारदा माँ सेवा संघ सदस्यों के लिए बहुत ही हर्ष का विषय है, क्योंकि माँ के आध्यात्मिक जीवन के कारण ही हमें गुरु माँ मिली है और हमारा जीवन पवित्र हो रहा है, हम सनातन संस्कृति की रक्षा करने के लिए अग्रसर हो रहें है, हे माँ भगवती महा सनातनी आपको हम सब की ओर से हादिँक बधाई स्वीकारे जय माँ भगवती आप स्वस्थ रहें। यही मै श्री महाराज जी से प्रार्थना करती हूँ।
राज नेगी

शारदा माँ सेवा संघ के सभी सदस्यों को यह सूचना देते हुए मुझे अत्यंत गर्व एवं प्रसन्नता हो रही है कि 13 दिसंबर 2024 को श्री माँ जी के सन्यासी जीवन को पूरे 50 वर्ष हो गये हैं । इस शुभावसर पर मै अपनी तरफ से श्री माँ जी को बहुत बहुत बधाई देती हूँ तथा श्री महादेवी माँ से एवं श्री स्वामी जी महाराज जी से करबद्ध प्रार्थना करती हूँ कि वे श्री माँ जी को स्वस्थ जीवन एवं दीर्घायु दें जिससे कि हमें अपने जीवन पर्यन्त श्री माँ जी का स्नेहांचल एवं आशीर्वाद प्राप्त हो। 🙏🙏💐💐
शाकुल